इस देश के वीर सैनिकों ने पराक्रम के साथ बलिदानी दे दी, लेकिन कभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया। इन वीर सैनिकों की सेवा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस देश की सेवा करने के लिए महिलाओं को भी अधिक से अधिक संख्या में सेना में भर्ती होना चाहिए।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय शनिवार को गीता ज्ञान संस्थान के सभागार में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद द्वारा आयोजित 24वें वार्षिक अधिवेशन के प्रथम सत्र के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। इससे पहले राज्यपाल ने मॉ भारती की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। राज्यपाल ने अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद द्वारा समाज के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूर्व सैनिकों की तमाम समस्याओं को केन्द्र सरकार के माध्यम से समाधान करवाने का हर भरसक प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के उपरांत गौरव सैनिक के रूप में अपनी सकारात्मक ऊर्जा, अनुभव एवं विवेक का प्रयोग राष्ट्र, समाज एवं गौरवशाली सेनानियों के परिवारों के कल्याण एवं उत्थान में कर रहे हैं, जोकि देश-प्रदेश और हम सबके लिए गर्व की बात है। इस कड़ी मेहनत, समर्पण भाव एवं ऊर्जा, दूर-दराज एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के कल्याण एवं उत्थान में अत्यधिक कारगर सिद्ध होगी। इस पावन धरा कुरुक्षेत्र का मूल प्रतिपाद्य भी यही है कि मनुष्य शुद्ध नि:स्वार्थ होकर मन और हृदय से समन्वय स्थापित करें तथा तन-मन-धन से मानवता के उत्थान में समर्पित रहे।
उन्होंने कहा कि हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेश के रूप में जाना जाता है, फिर भी यहां के नौजवानों ने खेल जगत में एवं देश की सशस्त्र सेनाओं में अपनी एक अलग पहचान बना रखी है। आज भारत की सशस्त्र सेनाओं में हरियाणा का योगदान अनुकरणीय है। एक छोटे से प्रदेश से भारी संख्या में लोगों का भारतीय सशस्त्र सेनाओं में आना हम सब के लिए गर्व की बात है। इन सब युवाओं को प्रशिक्षण देकर भर्ती योग्य बनाने के लिए भूतपूर्व सैनिकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। नूंह का उजीना एक ऐसा गांव जिसे सेना के जवानों का खजाना माना जाता है। इस गांव के जवानों में देश की सेवा करने का अलग ही जज्बा है। अकेला यह गांव सात सौ से भी अधिक नौजवान देश को सैनिक के रूप में दे चुका है। केंद्र सरकार के द्वारा शुरू की गई अग्नि वीर योजना में अब तक इस गांव से काफी बच्चों का चयन भी हो चुका है।
राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा राज्य सैनिक बोर्ड एवं अन्य संबंधित संस्थाएं जो पूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं एवं शारीरिक अक्षमता वाले सैनिकों तक अपनी पहुंच बढ़ा रही है। हरियाणा के वीरों ने आजादी के बाद भी उन्नीस सौ बासठ, उन्नीस सौ पैसठ व उन्नीस सौ इकहतर के विदेशी आक्रमणों और ऑपरेशन कारगिल युद्ध के दौरान वीरता की नई मिसाल पेश की है। हम अपने शहीदों के बलिदानों का कर्ज तो नहीं चुका सकते, लेकिन उनके परिजनों की देखभाल करके उनके प्रति अपनी कृतज्ञता अवश्य व्यक्त कर सकते हैं। इस दिशा में हरियाणा सरकार ने ‘सैनिक व अर्ध-सैनिक कल्याण विभाग‘ का गठन किया है। युद्ध के दौरान शहीद हुए सेना व अर्ध-सैनिक बलों के जवानों की अनुग्रह राशि बढ़ाकर पचास लाख रुपये की है। आई.ई.डी. ब्लास्ट के दौरान शहीद होने पर भी अनुग्रह राशि बढ़ाकर पचास लाख रुपये की गई है। सेना व अर्ध-सैनिक बलों के शहीदों के तीन सौ सड़सठ आश्रितों को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वन रैंक वन पेंशन और अग्नि वीर जैसी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का काम किया।
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि परिषद की तरफ से 1995 से लेकर अब तक के 28 वर्ष की उपलब्धियों को लेकर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है और इस फिल्म को सबके समक्ष रखा भी गया है। यह संस्था राष्ट्र के हर कोने में सक्रिय है और देश में एक मात्र ऐसी संस्था है जो पूरे राष्ट्र में समाज हित के लिए कार्य कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष कर्नल गोपाल सिंह ने मेहमानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सैनिकों के लिए अनेकों सराहनीय कार्य किए है। इस सरकार ने फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में सैनिक स्कूल खोलने, रेवाड़ी के सैनिक स्कूल को फिर से शुरू करने के लिए 400 करोड का बजट उपलब्ध करवाने, जिला सैनिक बोर्ड में 14 वेलफेयर ऑफिसर की नियुक्ति करने, 6 हजार पूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरियां देने, वीर ग्राम योजना को अमलीजामा पहनाने का काम किया है
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