*श्रील प्रभुपाद उपदेशामृत*
*प्रश्न – वैष्णवों का क्या कर्तव्य है ?*
वैष्णवों के आचरण के विषय में श्रीमन्महाप्रभु ने कहा है कि गृहस्थ वैष्णवों को धन सञ्चय तथा विरक्त वैष्णवों को भिक्षा के द्वारा अपने – अपने कार्यों को पूर्ण ( जीवन निर्वाह ) करते हुए भगवद् भजन अथवा कृष्णानुशीलन करना चाहिए । दोनों को ही भोजन एवं शरीर को ढकने के लिए भगवान की कृपा पर ही निर्भर रहना चाहिए । इसलिए भगवान के ऊपर सभी को निर्भर रहना आवश्यक है । जिस प्रकार शरीर की रक्षा के लिए समस्त इन्द्रियाँ कार्य करती है , किन्तु यदि कोई एक अंग उदासीनता प्रकाशित कर शरीर की रक्षा करना बन्द कर दे , तो अवश्य ही शरीर कम या अधिक क्षतिग्रस्त हो जाएगा – इसे जानकर अपना मंगल चाहने वाले सभी लोगों को गुरु एवं वैष्णवों की सेवा , जीवों के प्रति दया एवं कृष्णनाम कीर्तन करना चाहिए ।
*जगद्गुरु श्रील प्रभुपाद भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी ठाकुर*,
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